गूगल मईया कहलस- खेत जा
गूगल मईया कहलस- खेत जा
( Mother Google Says- Go To Field )
गूमलर घरवा के बहरे मैदानवां में असमान के निचवा खटिया पर सुतल रहल की गूगल मईया पुचकार के बेटवा गूमलर के जगा देहलस- मोर बचवा ! मोर दुलरुआ ! बऊवा उठ जा ! मिचमिचा के गूमलर केहू तरह से अंखिया खोलल। सोचलस कि मईया कही रूस न जाये त खटिया पर उठ के बैठ गईल। ओके उठते, गूगल मईया ओसे कहलस कि- उ खेतवा पर जाइके देख लेव कि सब ठीक बा ?
गूमलर रतिया में कच्छा पहिन के सुतल रहल, उठते पैजमवा और गंजी पहिन लिहल। गूमलर क अंखिया अभियो मिचमिचा रहल त हैंड पम्पवा के पास गईल और हैंडलवा के हुचक हुचक कर पनिया निकाल के अंखिया अउर मुहवा धो लेहलस। ओके अब ठीक लगल। गूगल मइया से कहल कि उ खेतवा जात बा।
नीम के दतुअन रसरिया से बधल लटकल रहल। ओमे से इक ठो दतुअन लईके, ओके मुहवा में डाल अउर गमछा लेके निकल पड़ल।
गउवाँ के राहे सकरा रहल से इधर उधर कुदत कुदत गउवाँ से बहरवां निकल लस।
चलत चलत ओकर दोस्तवा मिल गईल। बस दुनू में बात चालू हो गईल कि घुरहू के गाय कल सांझे से लौट के घरवा न आयल जेसे घूरहू परेसान हउवे। आज ओके खोजत खातिर गउवाँ में खोजल जाइ। हँ, एक बतिया और पता लगल कि खतबारु के बेटवा कल्हियाँ शहर गइल। शायद ओके कमवा मिल गईल बा। आगे और बात-वात चलत पर गूमलर खेतवा जाइके बोलके चल पड़ल।
चलत चलत गूमलर अपने खेतवा पहुँच गईल। ऊ मेड़वा पर चढ़ गईल अउर पौधन के देखलस। सबे ठीक लगल। खेतवा के किनारे बाबूजी जतन से नरियल के पेड़वा लगयेले रहलन।
खेतवा के मेड़वा से सटल नलिया में पनिया बहत रहे। गूमलर के मेड़वा पर चलत चलत भक से नलिया में पैरवा धसक गयल। कैसेहुँ करके पनिया से निकल के खेतवा के मेड़वा पर पहुँचल। ओके पैजामा भीज गईल अउर कादो से सना गयल।
अरे ई त कुछो नइखे, दू दिन पहिले मेड़वा पर चलत चलत गूमलर एक संपवा के रेंगत देखके सिर पर पैर रख के भागल।
गूमलर साफ़ सफाई खातिर पोखरवा पर गईल। ओकरे मुँहवा में अभिओ दतुअन रहवे करल। पोखरा में पनिया से पैरवा अउर कपरा धोअले के बाद कुल्ला करके मुँहवा गमछा से पोछलस।
पोखरा से घरवा खातिर चल परल। घरे जाके गूगल मइया से बतैलस कि खेतवा देख आइल बानी, तू जल्दी से चाह बना दे।
सुनते मइया कहलस--बेटवा अंगरेज हो गईल बा।
गूमलर समझ न पाइल। अंगरेज ? कइसे ? गूगल मइया सब जानत बा। जेहु होइ, बस चाह मिल जाये।
Let Google translate.
Let Goomler learn.
goomler writes on google maiya kahlas- khet ja
goomler covers on google maiyan kahlas- khet ja.viewers will not find any travelling topic or pictures of a tourist place. it is about a walk in the morning.
Hilarious.
ReplyDeleteNever imagined google and goomler this way.
Your imagination has run riot.
I liked your narrative very much.
The climax at the end was superb.
Let goomler learn.
You wrote in Bhojpuri, which I again appreciate.
Great write-up.
What a creative and thoughtful post ?
ReplyDeleteIt has been written beautifully with a mixture of naivety of characters therein and humour. Dialect fits perfectly well with the surroundings. You did it brilliantly.